Angika Kavita | अंगिका कविता
मुर्गा बोललै | Murga Bollai
अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan
मुर्गा बोललै होलै भोर,थोड़े देरी मँ भै जैतै इंजोर!
मुँ-हाँथ धोय क' टहलै ल',चलँ सब सड़कs ओर!
फेरू नाही-खोरी सब नँ,करी लेबs जलखै-पानी!
कॉपी खोली,सबक बनैबs,नै त' याद ऐतs नानी!
मास्टर साहब छै कड़ियल,कोय्ये बहाना नै सुनतै!
रटै ल' लागतौ बुझी ले,भिड़ी जो लगाय के' जोर!
एक्को खोड़ा भुलभै जौं,करबाय देतौ निलडॉन!
पूछतौ कैन्हें याद नै,कहाँ रही छौ तोरs धियान!
हिज्ज' हिंदी अंग्रेजी रs,एक-एक क' रटिये जो!
नै त' जब' लागतौ तड़बड़,तब' खूब चुलैहैं लोर!
रायजी,पंडीजी,शास्त्रीजी,सब रs एक हिसाब!
राख कंठस्थ सब बात,जिह्वा पर तैयार जवाब!
एक चीज नै भूलना चाहियs सब नँ राख याद!
नै त' ऐन्हो करबौ इलाज,हिलाय देबौ पोर-पोर!
मतर एक बात सही छै,तहिं त' छै सब खनखन!
पढ़ाय सँ लैक' खेल तक,सौंसे स्कूल छै टनटन!
सब मास्टर साहब,लागलs रही छै चमकाय मँ!
डंका बजै छै,रिजल्टs रs,नाम भै छै सब ओर!
सब गुरुजी ल' परनाम,हमरा देल्ह' गूढ़-गियान!
जिनगी सँ अन्हार मेटी क', देखैल्ह' ऐन्हs भोर!
अरुण कुमार पासवान
०५ सितम्बर,२०२०
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