Angika Kavita | अंगिका कविता
कैसन-कैसन लोग | Kaisan-Kaisan Log
अनामिका सिंह | Anamika Singh
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग
कहीं छकै छै तर माल सब
कहीं फैलल छै इ छुतहा रोग
कैसन - कैसन प्राणी मालिक
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग
छप्पर -फाड़ी के नोट बरसै छै कहीं
कहीं गरीबी के नुमाइश हुअय छै
कहीं इंसान के दू बखत के खाना नै
कहीं लागल छै थाली में छप्पन भोग
कैसन - कैसन प्राणी मालिक
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग
गरीब गुरुआ के गाली पड़ै छै
हाकिम के सब गोड़ छुऐ छै
नेता - मंत्री बस झूठ बोले छै
बाबा सिखवै छै नया तरह के योग
कैसन - कैसन प्राणी मालिक
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग
जेकरा पैसा ओकरे लोन मिले छै
जरूरतमंद के सब झिड़कै छै
ईमान यहाँ कौड़ी के भाव बिकै छै
सच्चाई के नै छै कहीं भी अच्छा जोग
कैसन - कैसन प्राणी मालिक
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग
अच्छा दिन के नानै खातिर
देश के चाँद सन चमकावै खातिर
वंशवाद के नाश के खातिर
जनता करलकै एक नया प्रयोग
कैसन - कैसन प्राणी मालिक
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग
पर नै बदललै चाल देश के
नै कहीं होलै बेहतर हाल गरीब के
और सब ऊपर -ऊपर होलै
सत्ता के होलै नया अब दुरुपयोग
कैसन - कैसन प्राणी मालिक
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग
जे जितना नीचे गिरलै
वहे आय ऊपर चढ़लै
गंगा-जमुनी तहजीब के
नै अब हुऎ छै संजोग
कैसन - कैसन प्राणी मालिक
देखो भगवन कैसन-कैसन लोग ।
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