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Wednesday, September 2, 2020

कटी-कटी | Angika Kavita | Kati-Kati | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
कटी-कटी | Kati-Kati
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


हबर-दबर बोलs नै,मुस्की-मुस्की  डोलs नै!
कटी-कटी दोषी सब,कोय दूधs सँ धोलs नै!

नम्मा-नम्मा बाते छौं,छल-कपट त' नसे-नस!
बोलै छs बनाय बारे मँ,करै छs तहस नहस!
कत्त' टैम बीती गेल्हों,सब्भे छौं जस रs तस!
काम त' हुस-फुस भै छौं,खाली भै छौं बहस!
जरी-जरी बुझै छियै,हमरा है रंग अलोलs नै!
कटी-कटी दोषी सब,कोय दूधs सँ धोलs नै!

पाँचो उँगरी जौरs करs,देखs जोर मुट्ठी रs!
मुट्ठी-मुट्ठी जमा करs त',देखs जोर मुट्ठी रs!
हौ हुन्न' तों हिन्न' रैभs,है रंग कौन' की पैभs!
लोग-बेद आगू बढ़तै,तों जहाँ छs वहीं रैभs!
भीतर-बाहर एक हम्मँ,हमरा ऐसँ टटोलs नै!
कटी-कटी दोषी सब,कोय दूधs सँ धोलs नै!

बेस्वारथ करs कुच्छु,खाली स्वारथ ठीक नै!
बड़s उदेश छोड़ी क',करs घिकवा-घीक नै!
बातो जरा सुनत' रहs,बान्हs खाली टीक नै!
काम पूरा नै होथौं,मिलभ' जौं सब फरीक नै!
दिमागs सँ काम करs,देह सिरिफ झोलs नै!
कटी-कटी दोषी सब,कोय दूधs सँ धोलs नै!

तीन कनौजिया तेरह चुल्हा,रs नै हुअ' खेल!
आपसs मँ सब्भै मँ,रहना चाहियs पूरा मेल!
दाव नै निकाल' लोगँ,बीचs मँ खेलै रs खेल!
सब ठियाँ तैयार रही छै,लोग लै क' नोन-तेल!
एक गाँव रह' द',बनाबs फाँट-फाँट टोलs नै!
कटी-कटी दोषी सब,कोय दूधs रs धोलs नै!
                            अरुण कुमार पासवान
                               01 सितंबर,2020

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