Angika Kavita | अंगिका कविता
जितिया | Jitia
अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan
खरs जितिया करल' होथौं माँय!
एन्हैं नै अखम्मर छs आब ताँय!
नै त' है...बजड़-खस्सा समय मँ!
कतना लोग बोली गेलs छै टाँय!
बड़ी मेहनत सँ पोसाय छै बूतरु!
एन्हैं नै बाजै छै घरs म ई तुतरू!
आपनs बच्चा पालै-पोसै खिनी,
बुझभs की करल' छै बाप-माँय!
पेट काटी क' आ लहू सुखाय क'!
मजूरी करी क' बच्चा पढ़बाय क'!
आपनs रोगो-बियाद छिपाय क'!
गुजर करै छै टूटली-मड़ैया बनाय!
चाही छै बुढ़ापा मँ एक पेट खाना!
धियापुता संग-साथ,मन बहलाना!
सेवा टहल करी क' कर्जा चुकैहs!
पूछिहs दिक्कत त' नै बाबू-माय!
याद राखिहs माय रs है उपबास!
याद राखिहs जे लगाय छै आस!
माय-बापs रs दुआ जौं मिलथौं!
सब काम सुफल होथौं धाँय-धाँय!
खरs जितिया करल' होथौं माँय!
एन्हैं नै अखम्मर छs आब-ताँय!
अरुण कुमार पासवान
09 सितम्बर,2020
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