Search Angika Kavita Sahitya

Wednesday, September 9, 2020

जितिया | Angika Kavita | Jitia | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan

 

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
जितिया | Jitia
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


खरs जितिया करल' होथौं माँय!
एन्हैं नै अखम्मर छs  आब ताँय!
नै त' है...बजड़-खस्सा समय मँ!
कतना लोग बोली गेलs छै टाँय!

बड़ी मेहनत सँ पोसाय छै बूतरु!
एन्हैं नै बाजै छै घरs म ई तुतरू!
आपनs बच्चा  पालै-पोसै खिनी,
बुझभs की करल' छै बाप-माँय!

पेट काटी क' आ  लहू सुखाय क'!
मजूरी करी क' बच्चा पढ़बाय क'!
आपनs रोगो-बियाद  छिपाय क'!
गुजर करै छै टूटली-मड़ैया बनाय!

चाही छै बुढ़ापा मँ एक पेट खाना!
धियापुता संग-साथ,मन बहलाना!
सेवा टहल करी क' कर्जा चुकैहs!
पूछिहs दिक्कत त' नै  बाबू-माय!

याद राखिहs माय रs है उपबास!
याद राखिहs  जे लगाय छै आस!
माय-बापs रs दुआ  जौं मिलथौं!
सब काम सुफल होथौं धाँय-धाँय!

खरs जितिया करल' होथौं माँय!
एन्हैं नै अखम्मर छs आब-ताँय!
             अरुण कुमार पासवान
               09 सितम्बर,2020 


Angika Kavita | अंगिका कविता
जितिया | Jitia
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

No comments:

Post a Comment

Search Angika Kavita Sahitya

Carousel Display

अंगिकाकविता

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कविता के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Poetries , Kavita on the web




Search Angika Kavita Sahitya

संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *