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Sunday, September 6, 2020

हय नै सोचोॅ | Angika Gazal | अंगिका गजल | शम्भुनाथ मिस्त्री | Hai Nai Sochow | Shambhunath Mistry

 

हय  नै  सोचोॅ  | अंगिका गजल | शम्भुनाथ मिस्त्री
Hai Nai Sochow | Angika Gazal | Shambhunath Mistry

 
 

हय  नै  सोचोॅ   तोहें  कुछू  करै  नै  पारोॅ,
सब कुछ होतै कखनूँ अपनोॅ मन नै हारोॅ I

छँटतै मेघ निकलतै सूरूज मौसम खिलतै,
नै छै  देरी  आबै में  फनु  दिन  उजियारोॅ I

जिनगी हौ, जब मूँ खोलै तेॅ मुस्की फूटै,
पीरा छै  तेॅ  ढँकोॅ  करौ नै  कभूँ उघारोॅ I

केतनोॅ गुजगुज छै अन्हार घिरलोॅ अछोर तक,
एक  दिया   देॅहरी पर  बड़ी  सुमन सें  बारोॅ I

शम्भु चलोॅ सम्हली कें भीड़ निरापद नै छै,
नै छै  सबके  उजरोॅ मोॅन,  बहुत्तय कारोॅ I
                 – शम्भुनाथ मिस्त्री. 

हय  नै  सोचोॅ  | अंगिका गजल | शम्भुनाथ मिस्त्री
Hai Nai Sochow | Angika Gazal | Shambhunath Mistry

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