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Sunday, September 20, 2020

भुइँडोल | Angika Kavita | Bhuindol | अंगिका कविता | by अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan

 

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
भुइँडोल | Bhuindol
by अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

 
कत्त' नी हिलतै,कत्त' नी डोलतै!
भुइँडोल छेकै, कत्त' क' झोलतै!
आपनs-आपनs भाग-तकदीर!
केकरs घाँठs,अ' केकरs खीर!

अन्त-समय नारायण बोलला सँ,
कतना क' स्वर्गो  मिली जाय छै,
नपुआ रs आकार  बताय बास्तँ,
कतना सँ पुछड़ी  छुटी जाय छै!
छs-पाँच करै मँ,फँसथौं छै वीर!
केकरs घाँठs,अ' केकरs खीर!

कोय कही छै करम-गति हेकरा!
कोय कहै छै कि समझै रs फेर!
कोय कही छै बुआरी सोचै छेलै!
मर करमs मँ बदलs छेलै बटेर!
मेटना कठिन तरत्थी रs लकीर!
केकरs घाँठs,अ' केकरs खीर!

सोच-विचार भै छै  बड़ा जरूरी!
हबर-दबर काम हुअ' शैतान रs!
पैल्हँ जरूरी छै आपनs मेहनत!
तब' भै छै किरपा भगवानs रs!
एन्हैं नै जाय छै निशाना प' तीर!
केकरs घाँठs,अ' केकरs खीर!

आपनs-आपनs भाग-तकदीर!
केकरs घाँठs,अ' केकरs खीर!
            

अरुण कुमार पासवान
              20 सितंबर,2020 

Angika Kavita | अंगिका कविता
भुइँडोल | Bhuindol
by अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

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