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Wednesday, August 26, 2020

सूती जो रे नुन्नू..... | Angika Kavita | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ' Sooti Jo Re Noonu.. | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'

 

सूती जो रे नुन्नू..... | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ'
Sooti Jo Re Noonu.. | Angika Kavita | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'

   हाथी देबौ,घोड़ा देबौ
देबौ कौआ मैना रे
सूती जो रे नुन्नू बबुआ
देबौ भरलौ दोना रे...

 

गोल जिलेबी मिट्ठो-मिट्ठो
देबौ टिकरी चमचम रे
लानी देबौ सुन्नर गुड़िया
ऐंगना घुमतो छमछम रे
लड्डू देबौ पेड़ा देबौ
बेटा श्याम सलोना रे..
सूती जो...


माय तोरो दिनभर रे नुन्नू
गोबर-करसी थापै छौ
गय्या-गोरु थर-थर कांपै
झुलिया लेकै झाँपै छौ
दुद्दु देबौ रबड़ी देबौ
ऑरो मिठका छेना रे..
सूती जो...


टूक-टूक ताकै निन्नी मैया
तोरा पास बुलाबौ रे
थपकी दै दै लोरी गाबै
सुन्नर गीत सुनाबौ रे
जों तो सुतबे पेट भरी के
गल्ला देबौ सोना रे..
सूती जो...

 

-प्रीतम-
26 अगस्त 20

 

सूती जो रे नुन्नू..... | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ'
Sooti Jo Re Noonu.. | Angika Poetry | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'

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