नै कोय्यो कुछ बोलै छै | अंगिका कविता | एकराम हुसैन शाद
Nai Koyyo Kuchh Bolaeiy Chhai | Angika Kavita| Ekram Husain Shad
ज़ाति , धर्म, बोली ,भाषा प कत्ते लोगों उछलै छै
अपनो देश के बारे सोचै नै कोय्यो कुछ बोलै छै।
दंगा , दहशत साल चुनावी आवै ले नयका ऐटम
वक़्त कै पहिया फिनूँ मौसम चुपके सै दुहरावै छै।
ख़ून बहै सैनिक कै नाहक मंदिर मस्ज़िद होय दूषित
लाश बिछा इंसा कै कुर्सी अपनो प्यास बुझावै छै।
भूख ,बेकारी ,बदहाली प' बात करै छै नय कोय्यो
झूठ - मूठ बाँधै दरिया प सेतू नय शरमावै छै।
सूरज क' किरणों प' पहरा क़ैद में छै बुलबुल अभियो
समता कै हय बात करी कै रह में कब्बर खोदै छै।
करतै केना कै आत्म निर्भर दैय कै कटोरा हाथों मैं
है बूझै कोय्यो न पारै शाद मतर कहलावै छै।
एकराम हुसैन शाद
नै कोय्यो कुछ बोलै छै | अंगिका कविता | एकराम हुसैन शाद
Nai Koyyo Kuchh Bolaeiy Chhai | Angika Poetry | Ekram Husain Shad
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