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Friday, August 28, 2020

बहिन मूरुख? | Angika Kavita | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Bahin Murookh |Arun Kumar Paswan

 

बहिन मूरुख?| अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Bahin Murookh | Angika Kavita |Arun Kumar Paswan

 
स्कूल तब' त' हम्महूँ जैबौ माय!
खाली कि लड़काँ करतै पढ़ाय?
कहिं है केना क' अच्छा लागतै?
बहिन मूरुख?जब' पढ़लsभाय!

पढ़ी-लिखी जब' लायक बनबौ,
तोरा नौकरिया मिलतौ जमाय!
तिल्लक लै बाला बरतुहारs क'
उलटे गोड़s सँ तब' दीहैं घुराय!

दोनो जीबँ, जब' नौकरी करबौ,
सब सुखs रs तब' भेतै उपाय!
फिटफाट होय के' ऐबौ तखनी,
लोगँ देखतौ तोरs बेटी-जमाय!

बेटी क' पढ़ै मँ  सरकारी-मदत,
होय छै,मालूम छौ कि नै माय?
बेटा सँ कम्मे खरचा लागतौ गे!
जानी ले ठीकsसँ पता लगाय!

चंपा-बहिन आरो बिलैया-माय,
सब्भैं रेडियो मँ देल' छै बताय!
लड़का लड़की छै एक-बराबर,
एकरंग दुन्हू क' देखलs जाय!

 अरुण कुमार पासवान
  24 अगस्त,2020 

बहिन मूरुख?| अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Bahin Murookh | Angika Kavita |Arun Kumar Paswan

 

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