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Monday, August 10, 2020

अंगिका बाल गीत | Angika Kavita | Angika Bal Geet | अंगिका कविता | रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
अंगिका बाल गीत | Angika Bal Geet
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

सिलोट पेंसिल लानी दे माय गे
हम्मू पढैले जैबै गे
मनोहर पोथी कौपी लानें
साथें रबर भी लानिहैं गे ।
सिलोट पेंसिल लानी दे माय गे

रूलदार लानिहैं कोपी माय गे
लेट पेंसिल भी लानिहैं गे
सिलोट पेंसिल लानी दे माय गे

अंगिका हमरो भाषा माय गे
हेकरा आगू बढैबै गे
सिलोट पेंसिल लानी दे माय गे ।

पढी लिखी कें हाकिम बनबै
हम्मू कलम चलैबै गे ।
सिलोट पेंसिल लानी दे माय गे

हम्मू किनबै गाङी माय गे
तोरो साथें घुरैबौ गे ।
सिलोट पेंसिल लानी दे माय गे

सानों सें रहबै पक्का घरो में
कोट टाय हम्मू पिन्हबै गे ।

सिलोट पेंसिल लानी दे माय गे
हम्मू पढैले जैबै गे ।

8-8-20

Angika Kavita | अंगिका कविता
अंगिका बाल गीत | Angika Bal Geet
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

 

 

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