Search Angika Kavita Sahitya

Tuesday, August 18, 2020

प्रशांत | Angika Kavita | अंगिका कविता | अंजनी कुमार शर्मा | Prashant | Angika Poetry | Anjani Kumar Sharma

 प्रशांत| अंगिका कविता | अंजनी कुमार शर्मा
Prashant | Angika Kavita | Angika Poetry | Anjani Kumar Sharma


जे समुद्र में रही के, वाह मगर से बैर
अबरी बार प्रशांत के नै छै कुच्छू खैर ।

नै छै कुच्छू खैर,एक नम्बर हरपट्टी 
नकली सेकुलर के, पीवी लेलकै घुट्टी ।

जज के ही खिलाफत,करै में गेलै फंसी
पर केकरा नै आवै, अधपागलो पे हंशी ।

प्रशांत| अंगिका कविता | अंजनी कुमार शर्मा
Prashant | Angika Poetry | Anjani Kumar Sharma




No comments:

Post a Comment

Search Angika Kavita Sahitya

Carousel Display

अंगिकाकविता

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कविता के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Poetries , Kavita on the web




Search Angika Kavita Sahitya

संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *