Search Angika Kavita Sahitya

Thursday, May 7, 2020

सब दारो-मदार! | Sab Darow-Madar! | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
सब दारो-मदार! | Sab Darow-Madar!
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


डेढ़ महीना तांहिं करबे करल्हे एकादशी!
ले आबे पियो अंग्रेजी,देशी,हड़िया बासी!
छो भगवंतों,सरकार तोरे ऊपर मेहरबान!
खैभे-पीभे की!खुली गेल्हों दारू-दोकान!
ठप होय गेलै जबे देशो रो बढ़ै रो रफ्तार!
आबे पियै बाला पर भेलै सब दारो-मदार!
दारू दोकानी पर छो-फीट नियम चलतै?
कोन चिंता?सरकार के रुपैया ढेर मिलतै!
पैल्हें खुम्मे बजैलो गेल्हों सगरे फट्टा ढोल!
मतर आखिर खुलिये गेल्हों असली पोल!
एक बातो पर मतर ज़रूर करभो  विचार,
कि तोरे जीलें जीये तोरो आपनो परिवार!
परिवारो ले जौं बुझो अपना के जिम्मेदार,
मत निकलिहो ज़हर खरीदै बास्तँ बाज़ार!
नै ते चखला सँ पैल्हें पड़ी जैभे तों बीमार!
"एक्के नरैना,लैके सौंसे घरेना" जैहौ पार।
                         अरुण कुमार पासवान
                              06 मई,2020



Angika Kavita | अंगिका कविता
सब दारो-मदार! | Sab Darow-Madar!
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


No comments:

Post a Comment

Search Angika Kavita Sahitya

Carousel Display

अंगिकाकविता

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कविता के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Poetries , Kavita on the web




Search Angika Kavita Sahitya

संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *