Angika Kavita | अंगिका कविता
घुमने छै एक बात | Ghumane Chhai Ek Baat
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal
घुमने छै एक बात मनों में
पत्नी छै एसकरे घरो में,
केना रहते होती प्यारो
छोटो बच्चा छै गोदी में ।
कत्त दिन आरो दूर रहबो
भरलो जवानी में है दु:ख
कल्पै छे मोन कांपे छै तो न
हरे विधाता हमरो दु:ख ।
है विरह केरो घङी निगोङा
हम्मे काटै न पारै छी
रात-दिन टुक-टुक देखै छी
गाङी रेल सपनावै छी ।
पत्नी हमरी बङी सुकुमारी
बर्तन केना माजती हो
झाङू पोछा राशन पानी
केकता से मंगवैती हो ।
करकी गैया मरखंङी छै
माथो गोङ चलावे हो
सानी पानी केना होतै
बुतरू कांनते होतै हो ।
22-4-2020
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घुमने छै एक बात | Ghumane Chhai Ek Baat
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

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