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Wednesday, May 20, 2020

कठ्ठर साल | Katthar Saal | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
कठ्ठर साल | Katthar Saal
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


संकट में सरकार मजदूर बेहाल,
बेखबर राजनीति ठोकै छै ताल!

मिली-बैठी निकाले कहाँ रास्ता?
रेडियो-टीवी पर बजाय छै गाल!

हेकरे नाम छेकै दुनिया जानी ले,
खुद सम्हारो सब्भैं आपनो हाल।

जोन उपाय बुझाभौं करले जैहो,
बेमारी उठलो छौं बनी के काल!

धीरज मतर कि राखना जरूरी,
पढ़ते-देखते रहो समय रो चाल!

है दुश्मन खतरनाक छै,जानै छो,
बिछाय देले छै यें सक्कत जाल!

मतर भगवान रो आसन डोलतै,
फेरू दुनिया होय जैतै खुशहाल!

सौ बरस बीती जाय छै फटाफट,
जल्दीये गुजरी जेतै 'कठ्ठर साल'!
             अरुण कुमार पासवान
                  19 मई,2020
 

Angika Kavita | अंगिका कविता
कठ्ठर साल | Katthar Saal
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

 







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