Angika Kavita | अंगिका कविता
बरजोरी | Barjori
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal
बरजोरी,करै छै अंगनमें में
लाज लागै जेरिको न छेङै में
संतोषे नै होय छै सावनमे में
परदेशी जे एलै अंगनवां में ।
लाज लागै छै भरलो जवानी में
मोन हसे मुस्काय छी घोघो में
मोन करे लुकाय बैठों कोना में
मोन हसे सिहरै छी बिछौना में ।
मुस्की मारै देवरा ओसरवे सें
चुटूटी काटै ननदी भंसा में
झोर झरै छै हद हद अंगनमें में
ठनका जे ठनकै छै अटरिये में ।
30-5-20
Angika Kavita | अंगिका कविता
बरजोरी | Barjori
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

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