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Sunday, May 31, 2020

बरजोरी | Barjori | Angika Kavita | अंगिका कविता | रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
बरजोरी | Barjori
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

बरजोरी,करै छै अंगनमें में
लाज लागै जेरिको न छेङै में
संतोषे नै होय छै सावनमे में
परदेशी जे एलै अंगनवां में ।

लाज लागै छै भरलो जवानी में
मोन हसे मुस्काय छी घोघो में
मोन करे लुकाय बैठों कोना में
मोन हसे सिहरै छी बिछौना में ।

मुस्की मारै देवरा ओसरवे सें
चुटूटी काटै ननदी भंसा में
झोर झरै छै हद हद अंगनमें में
ठनका जे ठनकै छै अटरिये में ।

30-5-20

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
बरजोरी | Barjori
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

 

 

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