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Friday, April 24, 2020

उपाय बताबो | Upai Batabow | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

Angika Kavita | अंगिका कविता
उपाय बताबो | Upai Batabow
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

बाल भेलो खेखरो,उपाय बताबो हेकरो,
लटकै तबे लत्तड़,उड़ला पर ते झोखरो!

अच्छा रैतिहै कि हम्में जनानिये रैतिहों!
माथा पर चभोरी-चभोरी तेल लगैतिहों!
हवा में चाहे रौदी में तबे केश सूखैतिहों!
झड़नी चलाय,चोटी कि खोपो बनैतिहों!
मतर अखनी उपाय नै बुझाय छे हेकरो,
बाल भेलो खेखरो,उपाय बताबो हेकरो,
लटकै तबे लत्तड़,उड़ला पर ते झोखरो!

अच्छा रैतिहै जे हम्में साधुबाबा रैतिहों!
बड़का-बड़का खाली जट्टो लटकैतिहों!
लँगोट फेकी के नागाबाबा होय जैतिहों,
धूनी जमाय के देहो में भसमो रमैतिहों!
दूसी देतिहै हमरा हिम्मतो छेलो केकरो!
बाल भेलो खेखरो,उपाय बताबो हेकरो,
लटके तबे लत्तड़,उड़ला पर ते झोखरो!

अच्छा होतिहै जे हम्में पंजाब में रैतिहों!
पगड़ी बान्हि के सुमरन करै ले जैतिहों!
जिनगी भर कहियो बाल नै कटबैतिहों!
कथी ले फेरु हेतना समसिया सुनैतिहों!
गपशप करै रो बिषय राखतिहौं दोसरो!
बाल भेलो खेखरो,उपाय बताबो हेकरो,
लटके तबे लत्तड़,उड़ला पर ते झोखरो!

मोचकट्टा कैंची सँ बाल केना के कटतै?
कपडकट्टा ते एकदम भोथो भेलो होतै!
घरो में जौनें काटतै में बाल दकची देतै!
अल्बर बिगाड़ी हमरा बानर बनाय देतै!
उपाय रहे समझाबो,चाहे बैठेलो ढेकरो!
बाल भेलो खेखरो,उपाय बताबो हेकरो,
लटके तबे लत्तड़,उड़ला पर ते झोखरो!
                     अरुण कुमार पासवान
23/4/2020
 

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