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Saturday, April 18, 2020

बिशुवा मेला | Bishua Mela | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
बिशुवा मेला | Bishua Mela
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan



मन छेलो बिशुवा मेला जैतिहौं बसंतराय!
मनो रो सोचलो ते मन्हैं में रही गेलो भाय!
तीन महीना पैल्हें राखलौं  टिकटो कटाय।
भविष आगू सब मन्सूवा धरले रही जाय।

दोकाने जबे बन,ते मेला रो की बात होतै?
गाड़ी छकड़ा नै ते कर्फ्यू तोड़ी लात खैतै?
सरकारी आदेशो रो ते पालन करले जाय!
अगले साल जैलो जैतै,चरपहिया दौड़ाय।

पुरानो गुड़,पुराने सत्तू खैलौं सतुआनी में,
टिकोला-चटनी नै मिललो नोन-पानी  में,
दलपूड़ी,चिकनपूड़ी,कोय देतिहै खिलाय!
सोहाड़ी,रोट,खबौनी कोय आबे नै बनाय।

कहियो-कहियो मन छटपट करे लागै छै,
गाँव घर जाय बास्ते चटपट करे लागै छै,
एंगन-दुआर,खेत-पथार,आरू बैल-गाय,
पढ़ी-लिखी,गाँव छोड़ी,सब गेलौं भुलाय।

मतर है बताबो,गाँव आभियो गाँवे छै नी?
पैल्हकरे रंग परिवार,समाज सब्भे छै नी?
जौं शहर रंग विदा करे बस चाय पिलाय!
ते ठीक होलै,जौं नै गेलौं मेला बसंतराय!
                       अरुण कुमार पासवान
                       ग्रेनो,17 अप्रैल,2020
 

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अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan



 



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