Search Angika Kavita Sahitya

Wednesday, April 15, 2020

दू पाट के बीचो में | Doo Paat ke Beechow Mein | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
दू पाट के बीचो में | Doo Paat ke Beechow Mein
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan



तोरो कोठी में अन्न होथौं,ते मन तोरो मगन होथौं।
रामायण,महाभारत के,लागलो तोरा लगन होथौं।

होकरो बारे में भी सोचो,जे दू पाट के बीचो में छै।
एक ओर रोग ते दोसरो ओर भूख,ऊ बीचो में छै।

जमा होय जाय छै देखथैं-देखथैं दस-बीस हज़ार।
बान्द्रा,कल्याण,दादर,सूरत रहे,चाहे आनंदविहार।

जे जहाँ फसलो छै,वाहीं रही ले कैन्हें नै तैयार छै?
काम बंद,कमाय खतम,मतर खाना के दरकार छै।

अफ़वाह के चारो ओर गरम होय रैल्हो बाजार छै।
ढेर दूर समांग भी ते,करी रैल्हो होकरो इंतज़ार छै।

कोय कुछ कही छै ते कोय बताय छै कोय कारण!
मतर हम्में ते एतने कैभौं,कि भेलो काल सवार छै!
                                    अरुण कुमार पासवान
                                    ग्रेनो,14 अप्रैल,2020
 

Angika Kavita | अंगिका कविता
दू पाट के बीचो में | Doo Paat ke Beechow Mein
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

 



No comments:

Post a Comment

Search Angika Kavita Sahitya

Carousel Display

अंगिकाकविता

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कविता के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Poetries , Kavita on the web




Search Angika Kavita Sahitya

संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *