लागै प्लास्टिक छै.. | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ' Lagai Plastic Chhai.. | Angika Kavita | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'
पूछला पर केना कहिय्यै ठीक छै।
घरो मेँ बन्द छी सेहत भी फिट छै।
कामो पर जाय छेलाँ दै छेलै रोटी,
ऐखनी त घी लागलो परोठा दै सेंकी,
पूछो नै हाल हो एकदम गिटपिट छै।
बाल आरु बच्चा भी खुब्बे बेहाल छै,
बचबा के मैय्यो भी खूब खूब लाल छै,
जेबी टकटोरै मन की पुलकित छै।
खुशी के बात ई कोय आबै नै जाय,
मन्ने- मन गदगद छै हमरो कन्याय,
पूछो नै हाल, जेना लागै प्लास्टिक छै।
😆😆😆प्रीतम
31-3-2020
लागै प्लास्टिक छै.. | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ' Lagai Plastic Chhai.. | Angika Poetry | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'
पूछला पर केना कहिय्यै ठीक छै।
घरो मेँ बन्द छी सेहत भी फिट छै।
कामो पर जाय छेलाँ दै छेलै रोटी,
ऐखनी त घी लागलो परोठा दै सेंकी,
पूछो नै हाल हो एकदम गिटपिट छै।
बाल आरु बच्चा भी खुब्बे बेहाल छै,
बचबा के मैय्यो भी खूब खूब लाल छै,
जेबी टकटोरै मन की पुलकित छै।
खुशी के बात ई कोय आबै नै जाय,
मन्ने- मन गदगद छै हमरो कन्याय,
पूछो नै हाल, जेना लागै प्लास्टिक छै।
😆😆😆प्रीतम
31-3-2020
लागै प्लास्टिक छै.. | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ' Lagai Plastic Chhai.. | Angika Poetry | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'

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