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Friday, April 3, 2020

राम-राम ! | Ram-Ram ! | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
राम-राम ! | Ram-Ram !
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


बहुत ज़रूरी होय छै विश्वास,
कोय छिपलो शक्ति के आस,
केकरे बिना बुनले,धरती पर,
जौनें ऊपजैते रही छै 'चास'।

ईश्वर,अल्ला,गॉड कि भगवान,
जौनें बोलाबे लै के जोन नाम,
पता नै कोन रूप लै के आबे,
दौड़लो छोड़ी-छाड़ी के धाम।

यही विश्वासँ दया उपजाय छै,
यही विश्वासँ ते कराय छै प्रेम,
बाकी सब ते छेकै आपनो ढंग,  
पूजा-पाठ आरो सब नेम-टेम।

केकरे विश्वास के निंदा नै करो,
मतर नै फैले कोय अंधविश्वास,
विश्वास बस एक टा रस्ता छेकै,
भटकाव छेकै सब अंधविश्वास।

धरमो के मान रहे सबसँ ऊँच्चो,
धरम के नै कोय करैहो बदनाम,
इंसानियत बचाबो दुनिया बास्तँ,
प्रेमपूर्वक सबसँ बोलो राम-राम!
            अरुण कुमार पासवान
            ग्रेनो,02 अप्रैल,2020
 

Angika Kavita | अंगिका कविता
राम-राम ! | Ram-Ram !
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

 


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