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Monday, March 9, 2020

होली गीतिका | अंगिका कविता | कैलाश झा किंकर | Holi Geetika | Angika Kavita| Kailash Jha Kinkar

 

 


होली गीतिका | अंगिका कविता | कैलाश झा किंकर
Holi Geetika | Angika Kavita| Kailash Jha Kinkar

(अंगिका गीतिका)

सब्भे ले' ऐलै बहार,अबकी होली मे ।

केना के' रहबै कुमार ,अबकी होली मे ।।


रामू के' भेलै ब्याह श्यामू के' भेलै

हमरा ले'नै बरतुहार,अबकी होली मे ।


हमरा से' छोट-छोट के' कनियाँ बसै छै

ठोकै छी हम्मे कपार,अबकी होली मे ।


तीसो के पार भेलै हम्मर उमरिया

बाबूजी करहो विचार, अबकी होली मे ।


नौकरी नै भेलै ते' हम्मर की दोष छै

ट्यूशन से' तीस हजार, अबकी होली मे।

@कैलाश झा किंकर

9/3/2020

होली गीतिका | अंगिका कविता | कैलाश झा किंकर
Holi Geetika | Angika Kavita| Kailash Jha Kinkar

 

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