होली गीतिका | अंगिका कविता | कैलाश झा किंकर
Holi Geetika | Angika Kavita| Kailash Jha Kinkar
(अंगिका गीतिका)
सब्भे ले' ऐलै बहार,अबकी होली मे ।
केना के' रहबै कुमार ,अबकी होली मे ।।
रामू के' भेलै ब्याह श्यामू के' भेलै
हमरा ले'नै बरतुहार,अबकी होली मे ।
हमरा से' छोट-छोट के' कनियाँ बसै छै
ठोकै छी हम्मे कपार,अबकी होली मे ।
तीसो के पार भेलै हम्मर उमरिया
बाबूजी करहो विचार, अबकी होली मे ।
नौकरी नै भेलै ते' हम्मर की दोष छै
ट्यूशन से' तीस हजार, अबकी होली मे।
@कैलाश झा किंकर
9/3/2020
होली गीतिका | अंगिका कविता | कैलाश झा किंकर
Holi Geetika | Angika Kavita| Kailash Jha Kinkar

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