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Monday, March 9, 2020

कोरोना | Corona | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
कोरोना | Corona
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


कोरोना,जे जानवर सँ निकललो छै,
सिरिफ आदमिहै के यें नै हिलाय छै,
ई ताकतवर विषाणु ने देखो केना के,
मौसम आरू ऋतुओ के सर्दियाय छै।

पैल्हें सिरपंचमी सँ ठोकै छेलियै ताल,
आभी मतर होली तक देखो की हाल,
बेरा गिरथैं सुटियाय रो मन होय जाय,
थेथर ठंढी ने सुरसा रंग मुँह बढ़ाय छै।

मन करै छै एक अपील छपाय लियै,
फगुआ एक मैन्हा आरो बढ़ाय लियै,
जे मौसम टनकला सँ भागे 'कोरोना',
बुझाबे,धमाल केकरा कैल्हौ जाय छै।

जे भी हुए,सावधानी ते राखै ले लागे,
लोगो रो छींक,खाँसी से बचै ले लागे,
याद राखै ले लागे,हाथ बेर-बेर धोना,
हाथ जोड़ी के नमस्ते करलो जाय छै।

खान-पान,रहन-सहन सब चकाचक,
साफ पानी पीयो,टटका खा टकाटक,
आपनो बचाव करो,सब के हित होतै,
सावधानिये सँ बचाव करलो जाय छै।
                    अरुण कुमार पासवान
                    ग्रेनो,08 मार्च,2020 ई
 

Angika Kavita | अंगिका कविता
कोरोना | Corona
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

 


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