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Thursday, March 26, 2020

हाथ नै मिलैयो | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ' | Hath Nai Milaiyeow | Angika Poetry | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'

 

हाथ नै मिलैयो | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ'
Hath Nai Milaiyeow | Angika Poetry | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'
 

हाथ नै मिलैयो .......

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झूल नै झोपड़ी खाली गुदड़ी बिछौना,

सूती जो रे बेटा लेतौ पकड़ी  कोरोना।


कुछुओ  त  नै  छौ  जेहे  छौ  चाटी ले

आपस में लड़ियो नै मिली के बांटी ले

हमरो  त  भागो   में  माँड़ के  फुटौना।

सूती जो.......


एकैस  तक  बन्द  रहतै  हटिया बजार

खाल  नै   खलरी  लागै  धरले  कचार

केना  खिलैबौ  बाबू  केना  आरु दोना।

सूती जो.......


कही   छै  मुखिया  जी  घरै  में  रहियो

रगड़ी - रगड़ी   के   हाथ  मुँह   धोइयो

दूर   रहियो   केकरैह  से  लेना-नै-देना।

सूती जो.......


एक   बात  सुनी  ल  छै  बहुते  जरूरी

रखियो  बनाय  के  एक  दूसरा से  दूरी

हाथ  नै मिलैयो न चलियोह जेना-तेना।

सूती जो.......

                         

25-3-2020

 

हाथ नै मिलैयो | अंगिका कविता | प्रीतम विश्वकर्मा 'कवियाठ'
Hath Nai Milaiyeow | Angika Poetry | Pritam Vishwakarma 'Kaviyath'

 

 

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