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Monday, March 16, 2020

कोरोना-कोरोना | Corona-Corona | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
कोरोना-कोरोना | Corona-Corona
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


दुनिया भर के कोना-कोना,
सगरे चर्चा,कोरोना-कोरोना,
राखो सिरिफ तों सावधानी,
बाकी बेकार छै रोना-धोना।

सुक्खा खाँसी,तेज बोखार,
हुए ते जाँचो ले रहो तैयार,
ज़रूरी नै कि कोरोने छेकै,
डॉक्टरो सँ करी ले विचार।

दू सप्ताह में तय होय जैतै,
आखिर कोन बोखार छेकै,
जाँचो पर निकलते जे रोग,
होकरे नी तबे इलाज होतै।

नै घबड़ाबो,नै कुछ छिपाबो,
तुरत बताबो,झटाक देखाबो,
सर्दी-खाँसी,बोखार हुए जौं,
डाक्टरी-सलाह लैके आबो।

जेकरो-सेकरो बात नै सुनिहो,
जौनें जे कही दे से नै मानिहो,
तुक्काबाज़ी सँ बचलो रही के,
इलाज़ो ले डॉक्टरो पास जैहो।

देश-बिदेशो के डॉक्टर,सरकार,
लागलो छौं करै ले दबाई तैयार,
तबतक नाक-मुँह ढकी के रहो,
आरो हाथ धोते रैय्हो बार-बार।

फेरु सँ कही दै छिहौं एक बार,
परहेज सँ रहो,नै पड़भो बेमार,
परहेज खानपान,मिलै-जुलै में,
घबड़ाना,भागना,छुपना बेकार।
           अरुण कुमार पासवान
           ग्रेटर नोएडा,उत्तरप्रदेश,
           15 मार्च,2020 ई.




Angika Kavita | अंगिका कविता
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अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan






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