मतर जबतक जीवन छै | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Matar Jab Tak Jeevan Chhai | Angika Kavita |Arun Kumar Paswan
आबो बैठो,पीयो चाय,कहो की हाल छौं भाय,
ढेर दिनो पे नज़र ऐल्हे,ले आबे पसारो चटाय।
बूढ़ो आदमी पक्का आम,की पता कत्ते रोज,
हुकुम जारी करी के,जैहा चैथौं लेथौं बोलाय।
ई दुनिया में यहे चलन छै,जे ऐलो छै जैतै हौ,
सब तय उपरो में होतै,के पैल्हें के पीछू जाय।
मतर जबतक जीवन छै,करते रहो नेक काम,
नेकी-बदी रहे दुनिया में,बाकी सब सङ्गे जाय।
ऐन्हों काम हुए,दुनिया में बढ़ी जाय प्रेमभाव,
मिली-जुली रहे सब,ई धरती स्वर्ग बनी जाय।
मिट्ठो बोली सब के जोड़े,सब जुड़े ते की बात!
दुख घटे,घटे ग़रीबी,सुख-शांति ते बढ़ले जाय।
गाँव-समाज में शांति रहे,तबे सबके हुए लाभ,
एक-दोसरा के हित सँ,पूरे देश के हुए भलाय।
अरुण कुमार पासवान
ग्रेनो,22 फरबरी,2020
मतर जबतक जीवन छै | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Matar Jab Tak Jeevan Chhai | Angika Kavita |Arun Kumar Paswan
No comments:
Post a Comment