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Tuesday, February 4, 2020

एकता के बल | Ekata Ke Bal | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
एकता के बल | Ekata Ke Bal
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

 
 
सही-सही जदि रस्ता पहचानभे,
मनो में जे ठानभे,वहे लैआनभे,
एकता के बल के जौं नै जानभे,
फूटभे,लुटभे,आखिर में कानभे।

जन्ने बढ़भे, नेता ते ढेरी मिलथौं,
आपने बास्तँ रसगुल्ला छिलथौं,
आपने के सब प्लान वें गिलथौं,
तोरा साथें तोरो उद्देश्यो लीलथौं,
सम्हलिये के रैय्हो नेता सिनी सँ,
भटकभे,जौं ठगो के बात मानभे।
एकता के बल के जौं...

रौदी में है बाल थोड़े पाकलो छौं?
जिनगी केरो अनुभव राखलो छौं,
लूटी नै ले कोय चास पाकलो छौं,
मेहनत के फल आबे राखलो छौं।
बचाय के राखभे कौवा-बौगला सँ,
चौकस रैभे ते आपनो घर लानभे।
एकता के बल के जौं...

सोचिहो नै कि उपदेश दै छिहौं,
है शुभकामना-सन्देश दै छिहौं,
अच्छा लाघौं ते अपनाय लिहो,
खराब लागे ठिट्ठू देखाय दिहो,
ज़रूरी नै सहमत हुवो हमरा सँ,
फैदे होथौं मतर जौं बात मानभे।
एकता के बल के जौं नै जानभे,
फूटभे,लुटभे,आखिर में कानभे।
 
           अरुण कुमार पासवान
           विक्रमशिला एक्सप्रेस,
           04 फरवरी,2020 ई.
 

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अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan



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