Angika Kavita | अंगिका कविता
माने मानव-श्रृंखला के | Manow Manav-Shrinkhala Ke
अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan
हर्रा जोड़ी के जबे जुटी गेल्हों सब,
बुझी जाय आबे सब लोगें मतलब,
हेकरा कोय साधारण भीड़ नै बुझे,
है अंगिका-भाषी के संकल्प-परब!
याद राखौक सब ने सैंडिस-कंपौंड,
ई मानव-श्रृंखला बुझो भरलै बॉन्ड,
आगिन ते आबे शोला बनी गेलो छै,
चिंगारी छेल्हों उ अंगिका-महोत्सव।
अंगिका ते छेकै आपनो मातृभाषा,
ई मातृभाषा के आदर के आशा छै,
आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाबो,
तब्बे अंगिका माता के होथौं गौरव।
है बढ़लो डेग आबे रुकैवाला नै छै,
है उठलो झंडा भी झुकैवाला नै छै,
ई हर अंगिकाभाषी के हुँकार छेकै,
ई विश्वास ने देखिहो,देखैतै करतब।
अरुण कुमार पासवान
ग्रेनो,23 फरबरी,2020
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माने मानव-श्रृंखला के | Manow Manav-Shrinkhala Ke
अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan
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