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Tuesday, February 25, 2020

मान दिलाबो | Maan Dilabow | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan


Angika Kavita | अंगिका कविता
मान दिलाबो | Maan Dilabow
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

दौड़-धूप करो आ जुत्ता खियाबो,
सब अंग-सेवी के एक ठाँ जुटाबो,
एकता के ताकत सँ सब मिलथों,
तेरह ठियाँ आबे चूल्हो नै जराबो।
करो संकलप,गोड़ आगू बढ़ाबो,
अंगिका के होकरो मान दिलाबो।

आंदोलन में बाबूजी त्याग चाहियो,
कलेजा में इच्छा के आग चाहियो,
सेवा करो पूरा जी-जान लगाय के,
सही जग्घा पर पूरा बात पहुँचाबो।
करो संकलप गोड़ आगू बढ़ाबो,
अंगिका के हेकरो मान दिलाबो।

अंगिका के चाहियो अंग-समाज,
सिरिफ होकरा पिन्हाना छै ताज,
आपनो-आपनो कुनबा बनाय के,
आपनो माथा पर ताज नै लगाबो।
करो संकलप गोड़ आगू बढ़ाबो,
अंगिका के हेकरो मान दिलाबो।

आगू बढ़ो, बड़ी बढ़िया बात छै,
अंगिका ले लड़ो,बढ़िया बात छै,
दिन में तीन बेर फ़ोटो देखाय के,
आभिये जय-जयकार नै कराबो।
करो संकलप गोड़ आगू बढ़ाबो,
अंगिका के हेकरो मान दिलाबो।

हक लैके बड़ो महोत्सव करैहो,
हमरा सिनी के वोहो में बोलैहो,
हौ दिन बड़का फोटो लगाय के,
अनुभव सुनाबो,मेहनत गिनाबो।
करो संकलप गोड़ आगू बढ़ाबो,
अंगिका के हेकरो मान दिलाबो।
 
            अरुण कुमार पासवान
            दिल्ली-मधुपुर हमसफ़र
            23 दिसम्बर,2019

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