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Friday, February 28, 2020

जय अंग-जय अंगिका | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Jai Ang-Jai Angika | Angika Poetry | Arun Kumar Paswan





जय अंग-जय अंगिका | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Jai Ang-Jai Angika | Angika Poetry | Arun Kumar Paswan



करते-करते हौ एकजुटता के बात,
जुड़िये गेलै आय अंगिका के हाथ,
मातृ-अंगिका के आबे की फिकर?
बेटा-बेटी सब जबे होय गेलै साथ!

हेकरा कहि छै अगुआ सब के दम,
मतर कि कोय नै छै केकरे सँ कम,
आबे तय भेलै कि दिल्ली दूर नै रैतै,
'अंगदपैर' सँ मजगूत 'जुड़लो हाथ'।

सैंडिस कंपौंड भागलपुर छै गवाह,
23 फरबरी 2020 के ई बेपरवाह,
'गर्जन' बनी जैतै विजेता के गर्जन,
यहीं मुकुट सजैतै अंगिका के माथ।

अभियान चलाय ले होथौं लगातार,
है लड़ाय लड़ै ले लागथौं आर-पार,
'जय अंग' 'जय अंगिका' रो गुंजार,
लैके पूरा अंगदेश चलो साथ-साथ।

                अरुण कुमार पासवान
                ग्रेनो,23 फरबरी,2020

जय अंग-जय अंगिका | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Jai Ang-Jai Angika | Angika Poetry | Arun Kumar Paswan


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