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Wednesday, January 15, 2020

ठुकुर-ठुकुर करले | Thukur Thukur Karleiy | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
ठुकुर-ठुकुर करले | Thukur Thukur Karleiy
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

 

मन ते छेलै,धोतिये पिन्ही के ऐतिहैं,
कुर्ता के उपर जवाहर कट चढ़ैतिहैं,
मतर कि एक ते सिटसिटौवा जाड़,
आरो आबे सठबरसा देहो के हाड़,
मनो के सब बात मन्हैं दबाय लेलौं,
ठुकुर-ठुकुर करले भागलपुर ऐलौं।

है धमगज्जड केना के छोड़ी देतिहैं,
मनो के हम्मेंआखिर की समझैतिहैं,
हेत्ते बड़ो महोत्सव में  जौं नै ऐतिहैं,
दिल्ली में बैठी छुच्छे गाल बजैतिहैं?
टिकस कटाय लेलौं, मोटरी उठैलौं,
ठुकुर-ठुकुर करले भागलपुर ऐलौं।

आबे लागै छै बेकारे घबड़ाय छेलौं,
पैंट-कमीज़ चढ़ाय में लजाय छेलौं,
सूट-बूट सँ आगू निकललै अंगिका,
हम्में आभी तक धोती जुटाय छेलौं,
सही करलाँ जे हम्में हिम्मत जुटैलौं,
ठुकुर-ठुकुर करले भागलपुर ऐलौं।

मुलुक भरी में केतना भाषा सुनलौं,
सगरे आपनो अंगिका लैके झूमलौं,
पढ़लौं ते हिंदी,अंग्रेज़ी,संस्कृत सब,
नौकरी ते हम्में अंगिका बोली पैलौं,
हौ एहसान हम्में कहियो नै भुलैलौं,
ठुकुर-ठुकुर करले भागलपुर ऐलौं।

आबी के देखलौं अंगिका के जोश,
उत्साह देखी मिललो बहुत संतोष,
खास-खास लोगो के होलो जुटान, 
ऐतै आबे अंगिका के नैका बिहान,
आठवी-ंसूची दूर नै छै जानी पैलौं,
ठुकुर-ठुकुर करले भागलपुर ऐलौं।

अंगिका सेवी विद्वान बड़ा महान छै,
धाजा लै के चलैवाला के परनाम छै,
ऐलो छै कत्ते शुभचिंतक से देखी ले,
हिनको सामरथ पर बहुत्ते गुमान छै,
हिनको नाम सुनलौं,ते रुके नै पैलौं,
ठुकुर-ठुकुर करले भागलपुर एलौं।
 
               अरुण कुमार पासवान
               ग्रेनो,13 जनवरी,2020

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