राजधानी में | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Rajdhani Mein| Angika Poetry | Arun Kumar Paswan
जुटो आबो राजधानी में
अंगिका चलाबो राजधानी में।
अंगक्षेत्र के बहुत लोग यहाँ छै,
कोय यहाँ,कोय बसलो वहाँ छै,
रहो आपनो हिसाबो सँ ठीक छै,
योजना बनाय ले,जुटना एक ठाँ छै,
सन्देश फैलाबो राजधानी में,
अंगिका चलाबो राजधानी में।
जबे मिलो,आपनो भाषा में बोलो,
आपनो भीतर के झिझक खोलो,
सब के सामना में बेहिचक बोलो,
कोय भाषा सँ हेकरा कम नय तौलो,
इज़्ज़त दिलाबो राजधानी में
अंगिका चलाबो राजधानी में।
लबालब दिलो में भरी के विश्वास,
पूरा करो अंगिका प्रतिष्ठा के आस,
अंगक्षेत्र के जैन्हो छै इतिहास,
अंगिका के बनाबो ओतने खास,
फेरु, जश्न मनाबो राजधानी में,
अंगिका चलाबो राजधानी में।
अरुण कुमार पासवान
ग्रेनो,05 सितम्बर,2019

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