ई त मालूम छेलै | रेत रो राग
अंगिका गजल | डॉ. अमरेन्द्र
ई त मालूम छेलै हमरौ पर सितम होतै
केकरौ प कथुवो ल जम्मौ के की रहम होतै ।
मरलौ खालौ सें भले लोहा भसम होलौ छै
जीत्तौ खालौ सें की बेवस्था ई भसम होतै ।
हौ जे झगड़ै छेलै डायन तरफ सें होना क
ओझो नै होतै ऊ डायन केरौ खसम होतै ।
एक राजा नें मुकुट दीनो पर रखी देलकै
ई हकीकत हुवै नै पारै ई भरम होतै ।
सोचलै छेलियै बहुत कुछ मतर नै ई सोचलौं
हेनौ कश्मीर या पंजाब या असम होतै ।
जौनें सरकार रोगर्दन प चलैतै छूरी
आपनौ सरकार के एकरै प कुछ करम होतै ।
फेनू अमरेन्द्र बहुत दिन प विमल सें मिललै
कोय जमाना में कोनो बात के कसम होतै ।
अंगिका गजल | रेत रो राग | डॉ. अमरेन्द्र | स्वर - डॉ. सत्यानंद । Angika Gazal | Ret Ro Raag | Dr. Amrendra | Recitation : Dr. Satyanand
Poet / Gazalkar : Dr. Amrendra
Poetry / Gazal: Ret Ro Raag
Recitation : Dr. Satyanand
कवि / गजलकार: डॉ. अमरेन्द्र
अंगिका गजल / कविता: रेत रो राग
अंगिका गजल | रेत रो राग | डॉ. अमरेन्द्र | स्वर - डॉ. सत्यानंद । Angika Gazal | Ret Ro Raag | Dr Amrendra | Recitation : Dr. Satyanand
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