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Thursday, July 11, 2019

कोय बात नैं | अंगिका कविता | त्रिलोकी नाथ दिवाकर | Koy Baat Nai | Angika Poetry | Triloki Nath Diwakar


कोय बात नैं | अंगिका कविता | त्रिलोकी नाथ दिवाकर

Koy Baat Nai | AngikaPoetry | Triloki Nath Diwakar

काटै छै बीरनी
बिख उतारै लहरनी
एकें सताय छै
दोसरें गथाय छै
कोय बात नैं ।


पुलिसों के डंड़ा
वकीलों के फंड़ा
एकें डेंगाय छै
दोसरें सिझाय छै
कोय बात नैं ।


लकड़ी के दीमक
नेता के नीयत
एकें सड़ाय छै
दोसरें लड़ाय छै
कोय बात नैं ।


सरकारो के घोषणा
अधिकारी के चोसना
एकें गिनाय छै
दोसरें बिलाय छै
कोय बात नैं ।


गरीबों के झोपड़ी
अमीरो के खोपड़ी
एकें बचाय छै
दोसरें नचाय छै
कोय बात नैं ।




Angika Poetry - Koy Baat Nai | कोय बात नैं

Poet - Triloki Nath Diwakar | त्रिलोकीनाथ दिवाकर

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