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Tuesday, July 9, 2019

मानसून के बारिश | अंगिका कविता | रंजना सिंह "अंगवाणी बीहट " | Mansoon Ke Barish | Angika Geet | Ranjana Singh Angvani Bihat

मानसून के बारिश
अंगिका गीत | रंजना सिंह "अंगवाणी बीहट "

देखहो नी सखी! अइले रिमझिम फुहार।
मन नञ लागै छै , कतौ अँगना द्वार ।


परदेशी पियबा होलै, बचबा छै बीमार ।
गिरे छै छप्पर आरू ,बेघर होलै परिवार।।


दाना पानी खोजे छै, चुनमुनिया हमार।
पिया परदेश छै, फूटलै हमर्हो कपार।।


झूमी-झूमी दिन-राति, गाबै छै पूर्वा बयार।
महकै छै बाग-बगिया, पुष्पों स' गुलजार।।


दादुर चमकै छै ,असकल्ले जियरा डराय।
झींगुर,मेंढक गीत छेड़े छै, सुर लगाय।।




[caption id="attachment_545" align="aligncenter" width="720"] रंजना सिंह अंगवाणी बीहट[/caption]

Angika Poetry - Mansoon Ke Barish | मानसून के बारिश

Poet - Ranjana Singh | रंजना सिंह "अंगवाणी बीहट "

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