अंगिका झूमर गीत
सौंसे आकाश मे कारी बदरिया रुको' पाहुन | कैलाश झा 'किंकर'
सौंसे आकाश मे कारी बदरिया रुको' पाहुन
चमकै खूबे बिजुरिया रुको पाहुन ।
बरसा बरसलै ते' ताल- तलैया भरी गेलै
सब्भे पोखरी आ नदिया भरी गेलै ।
कादो' से भरलो' छै सगरो डगरिया केना जैभो
फिसली जाय छै गुजरिया केना जैभो ।
बोलै छै मेढ़क,झिंगुर-झिंगुरिया डर लागै
लागै दिनो' मे अन्हरिया डर लागै ।
कुत्ता भूकै छै पिछवाड़ी गलिया घुरी आबो'
मानो' बतिया मनबसिया घुरी आबो' ।
Angika Poetry - Angika Geet | अंगिका गीत |
सौंसे आकाश मे कारी बदरिया रुको' पाहुन | Sounse Aakash mein kari badaria ruko pahun
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