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Tuesday, July 9, 2019

सौंसे आकाश मे कारी बदरिया रुको' पाहुन | अंगिका झूमर गीत | कैलाश झा 'किंकर' | Sounse Aakash Mein Aari Badaria Ruko Pahun | Annika Jhoomar Get | Kailash Jha Kinkar

अंगिका झूमर गीत
सौंसे आकाश मे कारी बदरिया रुको' पाहुन | कैलाश झा 'किंकर'

सौंसे आकाश मे कारी बदरिया रुको' पाहुन
चमकै खूबे बिजुरिया रुको पाहुन ।


बरसा बरसलै ते' ताल- तलैया भरी गेलै
सब्भे पोखरी आ नदिया भरी गेलै ।


कादो' से भरलो' छै सगरो डगरिया केना जैभो
फिसली जाय छै गुजरिया केना जैभो ।


बोलै छै मेढ़क,झिंगुर-झिंगुरिया डर लागै
लागै दिनो' मे अन्हरिया डर लागै ।


कुत्ता भूकै छै पिछवाड़ी गलिया घुरी आबो'
मानो' बतिया मनबसिया घुरी आबो' ।





Angika Poetry - Angika Geet | अंगिका गीत |
सौंसे आकाश मे कारी बदरिया रुको' पाहुन | Sounse Aakash mein kari badaria ruko pahun


Poet - Kailash Jha Kinkar | कैलाश झा किंकर

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