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अंगिका गीत | प्रीतम कुमार विश्वकर्मा 'कवियाठ'
ओहारि कोन्टा ताल-तलैय्या
बेंगवा बोलै टर्र-टर्र,
ओनहैलो बदरा छैयलो छै
लागै जमी के ऐतै झड़।
भुट्टा नाकी भटर-भटर
बुन्नी आबै छै झड़-झड़,
चटकै चिकनो गरदा जेना
लावा आवा मे चटर-चटर।
ओहारि कोन्टा...... ।
छर-छर चुऐ कोन्टा-कासी
हँसै कि कानै छै छप्पर,
कखनु लहकै कखनु भीनकै
देखी के कीचड़-कीचड़।
ओहारि कोन्टा..... ।
पूर्वा-पछिया खूब झकासो
चलली नदिया उमड़-घुमड़,
उमतैली बंजर घरती पर
नाचै बुन्नी पटर-पटर।
ओहारि कोन्टा..... ।
देने छै नियति आमंत्रण
दोड़ो किसना आगु बढ़-बढ़,
करभौ मेहनत त फल पैयभो
नै ते पछतैभो ऐड़ी रगड़-रगड़।
ओहारि कोन्टा.... ।
[caption id="attachment_534" align="aligncenter" width="1179"] प्रीतम कुमार विश्वकर्मा 'कवियाठ'[/caption]
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