बसंत पंचमी झूमर | अंगिका कविता | कैलाश झा किंकर
Basant PanchamiJhoomar | Angika Kavita | Kailash Jha Kinkar
अंगिका गीत | कैलाश झा 'किंकर'
विद्या के देवी बजाबै छै वीणा सुनो-सुनो
माघी फूलै के महीना सुनो-सुनो।
मैया के रिझबै ले गाबै कोयलिया झूमि-झूमि
मँजरै अमुआँ के गछिया झूमि-झूमि।
हंस के सवारी पर ऐलो छै देवी घरे-घरे
बुँदिया,गजरा,जिलेबी घरे-घरे ।
गम-गम गमकै छै गुगुल आ फुलवा चारो दिशि
शोभै मैया के जलबा चारो दिशि।
माँगै छै किंकर मैया से विद्या कर जोरी
मिटबो मन के अविद्या कर जोरी।
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