फगुआ झूमर | अंगिका कविता | कैलाश झा किंकर
| Fagua Jhoomar | Angika Kavita | Kailash Jha Kinkar
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अंगिका गीत | कैलाश झा 'किंकर'
फगुआ के रंग में लागै छै दुनिया फगुऐलै
हम्मर भैया के कनिया फगुऐलै।
भैय्या सुतल छै बगले में लेकिन चैट-चैट
खेलै भौजी अधरतिया चैट-चैट।
चढ़लै जे फागुन भौजी करै छै मह-मह-मह
महकै घोरो-दुअरिया मह-मह-मह ।
भरलऽ उमंग स॑ रँगलऽ छै भौजी फगुआ म॑
भैया ताकै छै सुरतिया फगुआ म॑ ।
राहुल,अमरेन्दर, राही,विजेता हँस्सैँ छै
नाची-झूमी क॑ खगड़िया हँस्सै छै।
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