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Sunday, June 7, 2020

हङ्ङी कंपाय | Haddi Kanpai | Angika Kavita | अंगिका कविता | रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
हङ्ङी कंपाय | Haddi Kanpai
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

हङ्ङी कंपाय वाला ठंढा
काठी न करसी
घरो में
ङमखोलो के ङंङा
गेनरा पर गेनरा
सुजनी के फंङा ।

एके टा चूल्हा
अगोरी बैठले-सभे टा
तीन बजे भिनसरवा
जरैलके
ङमखोलो के पत्ता आरो ङंङा ।
भागलै ठंढा ।

बगले में-
फ़ुच्ची माय केरो झोपड़ा
टिको लगाय के
कानलै सभे टा ।
दौडी कें गेलै नितुवा
आबी कें बोललै-
मरलै नेटुआ-
है छेलो फुच्ची माय केरो बेटवा
मारलकै ठंढा ।

है छेलो

5-6-20

Angika Kavita | अंगिका कविता
हङ्ङी कंपाय | Haddi Kanpai
रामनंदन विकल | Ramnandan Vikal

 

 

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