Angika Kavita | अंगिका कविता
संजोग | Sanjog
by अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan
जुटs,एक ठियाँ जुटी जा सब लोग!
भगाय द' फरका-फरकी वाला रोग!
मिली-जुली सब्भैं आगू जौं बढ़भs,
लागी जैथौं तब' ठीक-ठाक संजोग।
पाँच-पांडव मिली,'इंद्रप्रस्थ' बसैलकै!
कुरुवंश टूटलै,मिटी गेलै 'हस्तिनापुर'!
'समुच्चे सिंघासन' कहाँ सँ मिलतिहै?
बदला मँ पैलकै सs बेटा रs वियोग।
परिवारs मँ चाहियs एक ठो मुद्धs,
बाकी नँ कर' हुनकs मजगूत हाथ!
जहाँ,जखनी हुअ' जेकरs जरूरत,
उ चली पड़',पट-सुरु हुनकs साथ।
मुद्धs काँही नै बनी जाय 'हिटलर'!
खाली हुकुमे नै चलैत रह' सब पर!
सब्भै रs सुझाव सुन' आरो समझ',
गुमान राख' आपनs परिवारs पर।
''जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना..."!
यह' त' लिखी गेलs छै तुलसीदास!
सुमति राखs आपनs परिवारs मँ,
पूरा भै जैथौं जे लागलs छौं आस!
अरुण कुमार पासवान
25 सितंबर,2020
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