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Tuesday, August 25, 2020

टूटल नैया डूबल किनारा | Angika Kavita | अंगिका कविता | एकराम हुसैन शाद | Tutal Naiya Dubal Kinara | Angika Poetry | Ekram Husain Shad

 


टूटल नैया डूबल किनारा | अंगिका कविता | एकराम हुसैन शाद
Tutal Naiya Dubal Kinara | Angika Kavita | Ekram Husain Shad


डूबै साले - साल मड़ैया के हमरो रखवाला छै
टूटल नैया डूबल किनारा सगरो खड़ा अनेरा छै
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लोरी टपकै सावन - भादो लेखा हमरो आँखी सै
जिनगी कै स्वाद बिगड़लो बहतै हरदम लोरी सै
जीवन कै संग दिल छै पैरा कोय्यो कहाँ सहारा छै
टूटल नैया डूबल किनारा सगरो खाड़़ा अंनेरा छै
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चना चबैना प आफत छै भूख से बेदम छै जीवन
टुकुर टुकुर ताकै अम्बर प निश्ठुर कत्तै छै सावन
कोई हरै नै दुःख जीवन कै सोचै खाड़ा बिचारा छै
टूटल नैया डूबल किनारा सगरो खाड़ा अंनेरा छै
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भूसकारी मै ढ़ूढ रहल छै जिनगी कै आराम यहाँ
सरकारी ऐलान सै बढ़लो कोय्यो नै संताप यहाँ
साँझ बिहानै चितकारों सै कांपै यहाँ नज़ारा छै
टूटल नैय्या डूबल किनारा सगरो खाड़ा अंनेरा छै

एकराम हुसैन शाद



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Tutal Naiya Dubal Kinara | Angika Poetry | Ekram Husain Shad

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