Search Angika Kavita Sahitya

Saturday, August 22, 2020

तोरौ परैम में | Angika Kavita | अंगिका कविता | रामचन्द्र घोष | Torow Parem Mein | Angika Poetry | Ramchandra Ghosh

 


तोरौ परैम में | अंगिका कविता | रामचन्द्र घोष
Torow Parem Mein | Angika Kavita | Angika Poetry | Ramchandra Ghosh


कत्ते अनजान सिनी सें
हमरा हिलैलौ - मिलैलौ !
कत्ते सिनी दोसरा के घरौ में
हमरा ठहरै के ठौर देलौ !
तों अजगुत खेलबैय्या परैम के भाय !
आपनो - बेगानों के गला लगाय
दै छौ हर दूरी मिटाय !

आपनो डीहो के छोड़ी - छाड़ी
अनजान घरौं में जाय बखत
हमरा बड्डी होलै फिकीर
पता नैं की होतै हमरौ तकदीर !
हम्में मुरुख अग्यानी हय भुली गेलिए सरपट
हमरा संगे तों छौ छाँव नांकी हर बखत !

तोरा संग हम्में कहीं भी जाबे पारों
जीवन रहै या मरण
याकि सौंसे भुवन
जहाँ चाहौ हमरा लै जाय सकै छौ
हम्में छी हरदम तैय्यार
हमरा साथें छै
तोरौ जनम जनम के पियार !

तोरौ हय रं सनेह बनलौ रहै
तोरौ दरशन यहा रं होतें रहै
सकल संसारौ में हम्में घुमतैं - फिरतैं रहौं
सब अनजानौ बेगानौं सें हिलतें मिलतें रहौं
तोरा सें पैलौ परैम अग - जग में लुटैतें रहौं
बस्स तोरै परैम में हर बखत घुलतें रहौं !

*********************

सौजन्य : गीतांजलि ( कवीन्द्र रवीन्द्र )
अंगिका अनुवाद : रामचन्द्र घोष

तोरौ परैम में | अंगिका कविता | रामचन्द्र घोष
Torow Parem Mein | Angika Poetry | Ramchandra Ghosh

No comments:

Post a Comment

Search Angika Kavita Sahitya

Carousel Display

अंगिकाकविता

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कविता के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Poetries , Kavita on the web




Search Angika Kavita Sahitya

संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *