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Monday, June 24, 2019

माय गे बाबू के समझाभैं | Angika Kavita | Mai Ge Babu Ke Samjhavein | अंगिका कविता | प्रकाश सेन 'प्रीतम' | Prakash Sen Pritam

Angika Kavita | अंगिका कविता | Angika Geet | अंगिका गीत
 माय गे बाबू के समझाभैं   |  Mai Ge Babu Ke Samjhavein
by प्रकाश सेन 'प्रीतम'  | Prakash Sen 'Pritam'

माय गे बाबू के समझाभैं ।।


जखनी देखै छीं दोसरा के जोड़ी
मन करै छै आँख लौ फोड़ी
सभ्भे बरदा निकली जाय छै
गांव में सबसे हम्मी कोढ़ी
हमरा जोड़ी के केछै कमारो
सोची के हमरा बतलाभैं ।
माय गे बाबू के समझाभैं ।।


भैया के शादी अठारहै में करलैं
हमरा चढ़लो जाय छै पच्चीस
साथी संगी के जाय छी बराती
हमरा करेजा में मारै छै टीस
खोली के हम्मे बोलै छियौ
हमरो बीहा जल्दी कराभै ।
माय गे बाबू के समझाभै ।।


सोचै छैं लेबो औकातो से बेसी
कब तक चलतौ इ रंग ठेसी
दू बेटी छौ एतना जानीयै
इंग्लिश छोड़ी के धरबे देशी
सभ्भै पर भगवान छै लागलो
हमरो बातों के पतियाभै ।
माय गे बाबू के समझाभै ।।


सब्भै की हमरा चेक बुझै छै
पाव रोटी आरु केक बुझै छै
तिल्लक लै के जमीन लिखैभै
की टाका के ठेक बूझै छै
सस्तो मंहगो जे आबै छै
लय के जल्दी बेचबाभै ।
माय गे बाबू के समझाभै ।।



Angika Kavita | अंगिका कविता | Angika Geet | अंगिका गीत
 माय गे बाबू के समझाभैं   |  Mai Ge Babu Ke Samjhavein
by प्रकाश सेन 'प्रीतम'  | Prakash Sen 'Pritam'

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