तिलकामाँझी
पहिलऽ सर्ग | दोसरऽ सर्ग | तेसरऽ सर्ग | चौथऽ सर्ग | पाचमां सर्ग | छठा सर्ग | सतमा सर्ग | अठमा सर्ग | नौमां सर्ग | दसमा सर्ग | एगारमा सर्ग | बरहमा सर्ग | तेरहमा सर्ग | चौदहमा सर्ग
तिलकामाँझी
- तेसरऽ सर्ग -
(विस्थापित पहाड़ी के सबौर आगमन, डिग्गन के बेटा शिब्बू के विवाह पहिनें हिरणी सें फेनूं जैबा सें)
— हीरा प्रसाद हरेंद्र —
राजगांव-नगर नवी बीचें,
सिंगारसी पहाड़ी।
भरलऽ छेलै चारो तरफें,
खाली जंगल-झाड़ी।। 1।।
बिहार-बंगालऽ के सीमा,
खिचड़ी भाषा-भाषी।
तिलका मांझी केरऽ पूर्वज,
वहांकरऽ ही वासी।। 2।।
सिंगारसी पहाड़ी छोड़ी,
अपनों मन क॑ मारी।
पूर्वज आबी करेॅ लागलै,
नौकरी तालझारी।। 3।।
नौकरी-चाकरी के साथें,
बास-स्थल भी मिललै।
बहुत दिनों तक वांहीं बसलै,
नैं थोड़ो सा हिललै।। 4।।
‘डिग्गन’ दादा तिलका केरऽ,
परिवारऽ क॑ छोड़ी।
महेशपुर राज घराना केरऽ,
पकड़ी लेलक गोड़ी।। 5।।
गरजन गरजी बोलै छेलै,
पहाड़िया क॑ आबें।
हमरऽ राजऽ के छाया म॑,
आबी जान बचाबें।। 6।।
सुन्दर पहाड़ से विस्थापित,
सबौर जंगल आबी।
कुछ पहाड़िया मचलै छेलै,
रोजी-रोटी पाबी।। 7।।
बाद तालझारी सें कुच्छू,
पहाड़िया भी ऐलै।
बड़ोॅ पहाड़ी टोला बसलै,
सबके मन हरसैलै।। 8।।
डिग्गन केरऽ बड़का भैया,
जे ‘गोविन’ कहलाबै।
होय तालझारी विस्थापित,
बसेॅ सबौरे आबै।। 9।।
डिग्गन केरऽ पहिलऽ पत्नी,
कोनों कारण भेलै।
इक पहाड़िया युवकोॅ साथें,
घर सें भागी गेलै।। 10।।
गोविन लिरूआ पहाड़िनों सें,
तब शादी करबाबै।
लिरूआ पहिलऽ बच्चा देतें,
स्वर्ग राह सिधियाबै।। 11।।
बच्चा केरऽ लालन-पालन,
नानी-मौसी करलक।
नानी-मौसी बड़ी प्यार सें,
नामो शिब्बू धरलक।। 12।।
लिरूआ के मरला पर डिग्गन,
तेसर व्याह रचाबै।
फनूं ओकरा साथें लौटी,
महेशपुर तब आबै।। 13।।
लिरूआ केरऽ बहिनी सीता,
भिक्खू क॑ जनमाबै।
कर्मों के आधारें भिक्खू,
ही धरमा कहलाबै।। 14।।
गढ़ सिंगला पहाड़ गांव म॑,
भिक्खू केरऽ साथें।
शिब्बू प्यार बहुते पैलकै,
सीता मौसी हाथें।। 15।।
हिजला आरू पालोजोरी,
म॑ मौसी दू ब्याहै।
जौनें टूअर-टापर शिब्बू क॑,
तन-मन सें चाहै।। 16।।
हुन्नें महेशपुर राजऽ म॑,
शुक्कर के सरदारी।
बूढ़ा होला के कारण सें,
कखनूं हिम्मत हारी।। 17।।
शिब्बू पहिलऽ घर के बेटा,
डिग्गन के कहलाबै।
राजा गरजन केरऽ कानें,
बात कहीं सें आबै।। 18।।
संगठन बनाबै के छेलै,
अद्भुत क्षमता जकरा।
डिग्गन क॑ भेजी बोलाबै,
अपना पासें तकरा।। 19।।
वहीं जरूरत भरी प्रशिक्षण,
शिब्बू क॑ दिलबाबै।
उप सेनापति केरऽ पद पर,
शिब्बू क॑ बैठाबै।। 20।।
एक साल के भीतर-भीतर,
शुक्कर के पद पाबै।
यही बीच शिब्बू के शादी,
हिरणी सें करबाबै।। 21।।
बुरा भाग्य हिरणी के पहिलऽ,
प्रसव वेदना कालें।
जच्चा-बच्चा दोनों साथैं,
गेलै कालऽ गालें।। 22।।
हिरणी के मरला पर शिब्बू,
हाथें लगै निराशा।
डिग्गन धरमा सें दिलबाबै,
संकट घड़ी दिलासा।। 23।।
राजा गरजन देखी-देखी,
शिब्बू के लाचारी।
वोही पद पर बैठाबै छै,
तखनियें एतवारी।। 24।।
एतवारी भी भाय छेलै,
शिब्बू के सौतेला।
अपनों काम-काज म॑ वोहो,
बड़ी रहै अलबेला।। 25।।
तबेॅ अजण्टी डिग्गन साथें,
शिब्बू क॑ भेजाबै।
पालोजोरी, हिजला मेला,
शिब्बू घूम॑ आबै।। 26।।
काठी कुण्ड, पहाड़ी सुन्दर,
गोड्डा, हाट सरैया।
जामताड़ा, देवघर, जामा,
ई सब जगह बसैया।। 27।।
आरू गोपी कांदर साथें,
सब्भे भाषा-भाषी।
पहिनें तेॅ कहलाबै छेलै,
क्षेत्र अजण्टी वासी।। 28।।
हिजला मेला म॑ शिब्बू क॑,
लड़की एगो मिललै।
चाल-ढाल, मुठान हिरणी क॑,
देखी मन कुछ हिललै।। 29।।
सही अजण्टी वासी वोहो,
रहै पहाड़िन जैबा।
शिब्बू-जैबा के जोड़ी तेॅ,
खूब मिलाबै दैवा।। 30।।
धर्म गुरु रहै पहाड़िया के,
नामो धरमू चर्चित।
तन-मन-धन सब पहाड़िया के,
धरमू ≈पर अर्पित।। 31।।
धरमू आगू सब्भे झुकलै,
बीहा-शादी होलै।
देखी शिब्बू-जैबा जोड़ी,
सब्भे बढ़िया बोलै। । 32।।
तबेॅ अजण्टी सें जैबा क॑,
शिब्बू सबौर लानै।
जैबा क॑ आंखी में राखी,
देवी नांकी मानै।। 33।।
देवी-देवा पहाड़िया के,
दोन्हूं ≈पर ढरलै।
साल भरी में जैबा केरऽ,
गोदी देखो भरलै।। 34।।
बच्चा सुन्दर, रूप मनोहर,
जबड़ा नाम धराबै।
जबड़ा आगू, तिलका मांझी,
हमरा बीच कहाबै।। 35।।
जैबा मन-मन गाजै छेलै,
बेटा गोदी ऐतै।
पहाड़िया समुदाय यहां पर,
गीत खुशी के गैतै।। 36।।
मोंन पुरैलकै देवा-देवी,
कहां उतरलै पानी।
गोदी म॑ बेटा ही ऐलै,
सच्च जैबा के वाणी।। 37।।
सतरह सौ पचास ईस्वी के,
रहै फरवरी माह।
तिथि ग्यारह सब्भैं मानै,
बढ़ै पहाड़ी बांह।। 38।।
तिलकामाँझी
पहिलऽ सर्ग | दोसरऽ सर्ग | तेसरऽ सर्ग | चौथऽ सर्ग | पाचमां सर्ग | छठा सर्ग | सतमा सर्ग | अठमा सर्ग | नौमां सर्ग | दसमा सर्ग | एगारमा सर्ग | बरहमा सर्ग | तेरहमा सर्ग | चौदहमा सर्ग
Angika Poetry : Tilkamanjhi / तिलकामाँझी
Poet : Hira Prasad Harendra / हीरा प्रसाद हरेंद्र
Angika Poetry Book / अंगिका काव्य पुस्तक - तिलकामाँझी
तिलकामाँझी | तेसरऽ सर्ग | अंगिका कविता | हीरा प्रसाद हरेंद्र | TilkaManjhi | Canto-3 | Angika Kavita | Hira Prasad Harendra
No comments:
Post a Comment