Search Angika Kavita Sahitya

Thursday, February 8, 2018

तिलकामाँझी | दोसरऽ सर्ग | अंगिका कविता | हीरा प्रसाद हरेंद्र | TilkaManjhi | Canto-2 | Angika Kavita | Hira Prasad Harendra

तिलकामाँझी


पहिलऽ सर्ग  | दोसरऽ सर्ग | तेसरऽ सर्ग | चौथऽ सर्ग | पाचमां सर्ग | छठा सर्ग | सतमा सर्ग | अठमा सर्ग | नौमां सर्ग | दसमा सर्ग | एगारमा सर्ग | बरहमा सर्ग | तेरहमा सर्ग | चौदहमा सर्ग



तिलकामाँझी
- दोसरऽ सर्ग -
(मुस्लिम शासन आरू पहाड़िया समुदाय, मनसवदारी प्रथा, महेशपुर राज आरू गरजन सिंह)


— हीरा प्रसाद हरेंद्र —


राजमहल के समीप छोटोॅ,
रहै रियासत एक।
समय-समय पर ऐतें रहलै,
बाधा-विघ्न अनेक।। 1।।
पूरा जंगल तरी इलाका,
पहाड़िया के राज।
करतें रहलै बड़ी धैर्य सें,
अपनों सारा काज।। 2।।
दिल्ली सल्तनत के समय सें,
सौंसे मुश्लिम काल।
लिखलऽ छेलै शासन-सŸा,
पहाड़िया के भाल।। 3।।
ईस्वी सन चौदह सौ जखनी,
शासक तुगलक वंश।
तखनी सें ही पहाड़िया के,
झलक॑ लगलै अंश।। 4।।
दिल्ली पर लोदी के कब्जा,
छेलै खूबे मान।
बंगाली सूबा म॑ ऐलै,
शासक तब अफगान।। 5।।
बंगाली सूबा म॑ उत्कल,
रहै बांगला देश।
झारखण्ड, बिहार वोही म॑,
जरा कहीं नैं द्वैष।। 6।।
इब्राहिम लोदी पर छैलै,
बाबर के आतंक।
लोदी के देहोॅ म॑ लागै,
बिच्छू केरऽ डंक।। 7।।
पानीपत के मैदानोॅ म॑,
लोदी केरऽ हार।
मुगल साम्राज्य स्थापन केरऽ,
बनलै ई आधार।। 8।।
मोंन बढ़ाबै बंगालऽ पर,
नैं छोड़ै गुजरात।
पर लालसा अधूरे रहलै,
ऐलै मौत हठात।। 9।।
हुमायूं शासन क॑ लेलकै,
जेन्हैं अपनोॅ हाथ।
तेन्हैं बड़का पक्कड़ पड़लै,
शेरशाह के साथ। । 10।।
हुमायूं बहादुर शाहोॅ क॑,
करनें छेलै पस्त।
शेरशाह के आगू होलै,
शासन-सूरज अस्त।। 11।।
पन्द्रह सोॅ पचीस सें पचपन,
पूरे तीसो वर्ष।
शेरशाह के शासन रहलै,
बिन करलऽ संघर्ष।। 12।।
सुधारवादी काम करी क॑,
खूब कमाबै नाम।
बसै पहाड़ोॅ पर पहाड़िया,
निर्भय आठो याम।। 13।।
पहाड़िया राजा-परजा पर,
जरा न अत्याचार।
शेरशाह के काम करलका,
जानै छै संसार।। 14।।
पर ककरऽ शासन रहलऽ छै,
सब दिन एक समान।
कोनों वाटें-आबी जैथौं,
जीवन म॑ तूफान।। 15।।
कुच्छू दिनां लेली हुमायूं,
केरऽ फेनूं राज।
छप्पन में तेॅ आबी गेलै,
अकबर माथा ताज।। 16।।
मनसबदारी प्रथा चलाबै,
जे होलै जंजाल।
अकबर केरऽ शासन लागै,
पहाड़िया के काल।। 17।।
सूबेदार बनी क॑ ऐलै,
राजमहल उस्मान।
साबित होलै अकबर केरऽ,
एक नेक संतान।। 18।।
अकबर के मरला पर गद्दी,
जहांगीर आसीन।
बेगम नूरजहां तें छेलै,
हर हालत प्रवीण।। 19।।
शासन-सŸा खूब सम्हारै,
खूब बघारै शान।
एक्को काम पसंद तनिक नैं,
करै कभी उस्मान।। 20।।
मनसबदारी के मनमानी,
क॑ रोकै उस्मान।
पहाड़िया समुदाय पैलकै,
जीवन म॑ परित्राण।। 21।।
शाहजहां, जहांगीर पर सें,
पाबै जेना राज।
मुस्तैदी सें खूब चलाबै,
सŸा केरऽ काज।। 22।।
शाहजहां के बेटा जखनी,
होलै जरा जवान।
मुगलकाल म॑ आबी गेलै,
इक भारी तूफान।। 23।।
औरंगजेब खेली गेलै,
अहिनों भारी खेल।
हत्या अग्रज ‘दारा’ केरऽ,
शाहजहां क॑ जेल।। 24।।
राजमहल के सूबेदारी,
जब छोड़ै उस्मान।
वै जग्घा पर आबी गेलै,
थाम्हें लेॅ सुल्तान।। 25।।
जौनें नामोॅ के अनुरूपें,
कुछ जग्घोॅ के नाम।
सुलतानगंज र≥् राखी क॑,
होलै तब गुमनाम।। 26।।
शाहजहां के एगो बेटा,
राजमहल ;बंगालद्ध।
आबी सब्भे बदली दै छै,
सŸा केरऽ चाल।। 27।।
सौलह सौ पचास ईस्वी के,
छेकै ई ठो बात।
पहाड़िया के जमलऽ छेलै,
वहां बड़ी जामात।। 28।।
शाहसुजा ≈ बंगालऽ के,
बनलै सूबेदार।
पहाड़िया क॑ लागेॅ लगलै,
खतरा म॑ संसार।। 29।
अकबर वाला निर्धारित जे,
‘कर प्रणाली’ चलाय।
फेनूं लागू करी देलकै,
पहाड़िया पर भाय।। 30।।
शाहसुजा के अंग्रेजऽ सें,
मिललै जहां बिचार।
पहाडिया के ≈पर तखनी,
बढ़लै अत्याचार।। 31।।
जान बचाबेॅ भागी गेलै,
पहाड़िया समुदाय।
शासन-सŸा सब्भे गेलै,
एक्के पल छितराय।। 32।।
राजमहल के नजदीकोॅ म॑,
रहै रियासत एक।
गरजन सिंह के होलऽ रहै,
वहीं राज्याभिषेक।। 33।।
महेशपुर राज के नाम सें,
जानै सब्भे कोय।
वहां धनुर्धर पहाड़िया ही,
सेनाध्यक्षो होय।। 34।।
गरजन सिंह महेशपुर के,
शासन रहै चलाय।
पहाड़िया के मान वहां पर,
समुचित सदा लखाय।। 35।।
अंग्रेजऽ के दुश्मन छेलै,
अंग्रेजऽ सें डाह,
संकट के दरिया जैजां छै,
वैझैं मिलतै थाह। । 36।।
वोही महेशपुर राज तरफ,
सब्भे टा सिधियाबै।
गरजन सिंहोॅ के राजऽ म॑,
मान-प्रतिष्ठा पाबै।। 37।।



तिलकामाँझी


पहिलऽ सर्ग  | दोसरऽ सर्ग | तेसरऽ सर्ग | चौथऽ सर्ग | पाचमां सर्ग | छठा सर्ग | सतमा सर्ग | अठमा सर्ग | नौमां सर्ग | दसमा सर्ग | एगारमा सर्ग | बरहमा सर्ग | तेरहमा सर्ग | चौदहमा सर्ग


Angika Poetry  : Tilkamanjhi / तिलकामाँझी
Poet : Hira Prasad Harendra / हीरा प्रसाद हरेंद्र
Angika Poetry Book / अंगिका काव्य पुस्तक - तिलकामाँझी

 

तिलकामाँझी | दोसरऽ सर्ग | अंगिका कविता | हीरा प्रसाद हरेंद्र  | TilkaManjhi | Canto-2 |  Angika Kavita | Hira Prasad Harendra

No comments:

Post a Comment

Search Angika Kavita Sahitya

Carousel Display

अंगिकाकविता

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कविता के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Poetries , Kavita on the web




Search Angika Kavita Sahitya

संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *