प्रीत के पाती
अंगिका गीत | नवीन निकुंज
प्रीत के पाती लिखलकै जे राधा नी
भींजी गेलै कृष्ण नयना कोर ।
लागै छै कदंब सूनऽ
लागै वृंदावन सूनऽ
मारै छै यमुना हिलोर ।
कानै छै कोयलिया
कानै छै मुरलिया
सूखी गेलै मेघऽ केरऽ ठोर ।
सौनें जरैलकै
भादऽ तरसैलकै
नाचै नै छै बनऽ म॑ मोर ।
चाँदे चिढ़ावै
आगिन बरसावै
टूटी गेलै झूला केरऽ डोर ।
उड़ी गेलै निंदिया
गिरी गेलै बिंदिया
करै नै छै कंगना न॑ शोर ।
उगै नै सुरूज
डूबी गेलै चंदा
कब॑ होतै अमावस के भोर ।
प्रीत के पाती लिखलकै जे राधा नी
भींजी गेलै कृष्ण नयना कोर ।
कवि ⁃ नवीन निकुंज
स. प्राध्यापक, डी.एन.सिंह महाविद्यालय, रजौन, बाँका, बिहार, भारत
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