Search Angika Kavita Sahitya

Tuesday, February 6, 2018

प्रीत के पाती | अंगिका गीत | नवीन निकुंज

प्रीत के पाती
अंगिका गीत | नवीन निकुंज

प्रीत के पाती लिखलकै जे राधा नी
भींजी गेलै कृष्ण नयना कोर ।


लागै छै कदंब सूनऽ
लागै वृंदावन सूनऽ
मारै छै यमुना हिलोर ।


कानै छै कोयलिया
कानै छै मुरलिया
सूखी गेलै मेघऽ केरऽ ठोर ।


सौनें जरैलकै
भादऽ तरसैलकै
नाचै नै छै बनऽ म॑ मोर ।


चाँदे चिढ़ावै
आगिन बरसावै
टूटी गेलै झूला केरऽ डोर ।


उड़ी गेलै निंदिया
गिरी गेलै बिंदिया
करै नै छै कंगना न॑ शोर ।


उगै नै सुरूज
डूबी गेलै चंदा
कब॑ होतै अमावस के भोर ।


प्रीत के पाती लिखलकै जे राधा नी
भींजी गेलै कृष्ण नयना कोर ।


कवि ⁃ नवीन निकुंज
स. प्राध्यापक, डी.एन.सिंह महाविद्यालय, रजौन, बाँका, बिहार, भारत

No comments:

Post a Comment

Search Angika Kavita Sahitya

Carousel Display

अंगिकाकविता

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कविता के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Poetries , Kavita on the web




Search Angika Kavita Sahitya

संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *