अंग जल
गजल -९
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
खा-म-खा आँख तों दिखाबोॅ नय
तीर तरकस पॅ तों टिकाबोॅ नय।
लोग चाहै रहौं मुहब्बत सॅे
लूर धोखा-धड़ी सिखाबोॅ नय।
ई धरा राम केॅ अली के भी
तीन कॅे तीस तों लिखाबोॅ नय।
भूख ईमान केॅ हिलाबै तॅे
देष के आबरू बिकाबोॅ नय।
देह के खून सब बहै तॅ-बहै
ई तिरंगा कभी झुकाबोॅ नय।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल
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