अंग जल
गजल -४०
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
माघ केॅ ओंस मेॅ फूल पेॅ
छै वहा जे छेलै पूल पेॅ।
जाड़ मेॅ हाड़ कांपै सुनोॅ
सब चलै मौसमी रूल पेॅ।
थर-थराबै गुहाली मेॅ जेॅ
जीनगी फाटलोॅ झूल पेॅ।
खूब लूटै खरूभा मजा
ध्यान रखिहोॅ बड़ॉे भूल पेॅ।
तड़-फड़ाबै जुवनका मतर
हांथ धरनेॅ रहोॅ मूल पेॅ।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

No comments:
Post a Comment