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Sunday, July 3, 2016

अंग जल -१| अंगिका गजल | सुधीर कुमार प्रोग्रामर | Ang Jal-1| Angika Gazal | Sudhir Kumar Programmar

अंग जल


गजल -१


— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —


कहै दादा सॅ इक पोता, कि बाबू याद आबै छै
कहींने नें हमर मैया, अबेॅ सिन्दूर लगाबै छै।


जों गहलै छै कभी कौवा, तेॅ ढेला फेंकी केॅ मैया
अहो बोलोॅ न हो दादा, तुरत कहिनें भगाबै छै।


खनाखन हाँथ मेॅ चूड़ी, बजै छै रोज काकी केॅ
हमर मैया के हांथों मेॅ, अहो मठिया पिन्हाबै छै।


पुजै छै तीज, करवाँ-चौथ ई टोला मुहल्ला केॅ
मगर मैया सॅ पूछै छी तेॅ कानी कॅ कनाबै छै।


बथानी भैंस नै बकरी, न कोनोॅ गाय किल्ला मेॅ
मगर कींनी केॅ पाथा-भर दही कहिनें जमाबै छै।


Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल


Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर


Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

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