अंग जल
गजल -३४
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
आजादी के उत्सव मनाबोॅ हो भैया।
तिरंगा के रंग मेॅ रंगाबॉे हो भैया।
दुष्मन के अच्छा नैं झलकै रबैया
इ सुतलोॅ षहर केॅ जगाबोॅ हो भैया।
जों लहरै तिरंगा तेॅ, उमड़ै छै गंगा
ई गंगा के महिमा सुनाबोॅ हो भैया।
धरती लेली पानी, पानी, लेली बादल
बादल लेली पौधा, लगाबोॅ हो भैया।
हो नेता, भगत सिंह, खुदीराम, जैसन
घर-घर मेॅ फौलादी बनाबोॅ हो भैया।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

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